What is Cyclone, reason and types of cyclone you should know about. चक्रवात क्या है, चक्रवात के कारण और प्रकार।

WHAT  IS  CYCLONE, REASON OF CYCLONE AND IT'S TYPES. चक्रवात क्या है, चक्रवात के कारण और प्रकार।

माला, हेलेन, नरगिस और निलोफर...... यह नाम तो बॉलीवुड के बड़ी हीरोनियोंका तो है ही पर आज हम उनके बारें में नहीं बात कर रहें जिसकी हम बात कर रहें हैं वो है चक्रवात और ये सब नाम उन्ही कई बड़े चक्रवातों में से कुछ चक्रवातों के हैं। जैसे इस समय वायु चक्रवात गुजरात के तटीय क्षेत्र से टकराने का अंदेशा जताया गया था। 

तो आज हम ऐसेही कुछ चक्रवातों के बारें में जानेंगे की चक्रवात क्या होता है उसके कारण और उसके प्रकार।

चक्रवात क्या है ?

उष्णकटिबंधीय चक्रवात (टीसी) तीव्र कम दबाव प्रणाली हैं जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में समुद्र या महासागरों के ऊपर विकसित होते हैं। आईएमडी का कहना है, “एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र निम्न दबाव क्षेत्र या उष्णकटिबंधीय या उप-उष्णकटिबंधीय पानी के ऊपर के वातावरण में एक चक्कर है, संगठित संवहन (यानी आंधी गतिविधि) और कम स्तर पर हवाएं, या तो दक्षिणावर्त (उत्तरी गोलार्ध) या दक्षिणावृत्त (दक्षिणी गोलार्ध में) आमतौर पर उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के साथ आंधी बल हवाएं होती हैं जिनकी लगभग 63 किलोमीटर प्रति घंटे की गति होती है। आधुनिक सम्मेलन के अनुसार, हिंद महासागर के ऊपर एक चक्रवात है जो चक्रवात के रूप में संदर्भित होता है, लेकिन अगर यह अटलांटिक महासागर के ऊपर होता है तो इसे तूफान और अगर यह प्रशांत महासागर के ऊपर होता है तो उसे आँधी कहा जाता है।

चक्रवात के नाम कैसे रखे जाते है ? 

तटीय क्षेत्रों में तबाही मचाने वाले तूफानों के नामकरण को लेकर लोगों में काफी जिज्ञासा होती है। हाल ही में ओडिशा में चक्रवात को फेनी नाम दिया गया था। यह नाम बांग्लादेश ने सुझाया था। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक फेनी का मतलब सांप का फन है। 

विश्व मौसम विज्ञान संगठन/एशिया आर्थिक एवं सामाजिक आयोग और पैसिफिक पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन ओमान के मस्कट में वर्ष 2000 में आयोजित अपने 27वें सत्र में इस बात पर सहमत हुए थे कि वे बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले चक्रवात के नाम तय करेंगे। सदस्य देशों के बीच लंबे विचार-विमर्श के बीच उत्तर हिंद महासागर में आने वाले चक्रवात का नामकरण सितंबर 2004 से शुरू हुआ।
ज्यादातर तूफानों के नाम महिलाओंके नाम पर होतें है। अमेरिकी मौसम विभाग ने 1953 में ये  निर्धारित किया था की A से लेकर W तक जितने भी महिलाओंके नाम हो सकते है उसी पर तूफानों का नाम निर्धारित होगा। महिला संगठनों ने इसका विरोध करने पर एक नया नियम लाया गया। नए नियम के तहत अगर ऑड वर्षों में तूफान आएगा तो उसका नाम महिला के नाम पर होगा और अगर इवेन साल में तूफान आएगा तो उसका नाम पुरुष के नाम पर रखा जाएगा।

चक्रवात की श्रेणियाँ 

चक्रवातों को हवा की गति और उसकी वजह वाले नुकसान के आधार पर वर्गीकृत किया है। 
श्रेणी 1 चक्रवात: में प्रति घंटे 90 से 125 किलोमीटर के बीच हवा गति होती है, घरों  पेड़ों को कुछ छोटासा नुकसान होने की संभावना होती है।  

श्रेणी 2 चक्रवात: में प्रति घंटे 125 से 164 किलोमीटर के बीच हवा की गति होती है और घरों, पेड़ों और फसलों पर अच्छी  प्रमाणता में नुकसान होने की संभावना होती है। 

श्रेणी 3 चक्रवात: में प्रति घंटे 125 से 224 किलोमीटर के बीच हवा की गति होती है, घरों के बनावट संबंधी नुकसान, फसलों, पेड़ों, वाहनों और इमारतों में बड़े पैमाने पर नुकसान होता है।   

श्रेणी 4 चक्रवात: में  प्रति घंटे 224 से 279 किलोमीटर के बीच हवा की गति होती है, शहरों और गावों को बड़ी मात्रा में नुकसान होता है। 

श्रेणी 4 चक्रवात: में  प्रति घंटे 280 से  किलोमीटर अधिक हवा की गति होती है, और जीवित और आर्थिक हानि होने संभावना अधिक है। 

भारत में चक्रवात चेतावनी प्रणाली

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, चक्रवातों की घटनाओं का अनुमान लगाने और उनका वर्गीकरण करने के लिए जिम्मेदार है, और आवश्यकता होने पर चेतावनी जारी करने के लिए जिम्मेदार है। बंगाल की खाड़ी में और अरब सागर में चक्रवात क्रमशः आईएमडी के विभाग क्षेत्र चक्रवात चेतावनी केंद्र (एसीडब्ल्यूसी) एवं चक्रवात चेतावनी केंद्र (सीडब्ल्यूसी) द्वारा अनुमानित हैं। नई दिल्ली में राष्ट्रीय चक्रवात चेतावनी केंद्र (एनसीडब्ल्यूसी) दोनों के बीच समन्वयक के रूप में कार्य करता है। 2014 में आईएमडी ने एक एसएमएस आधारित चक्रवात चेतावनी प्रणाली लॉन्च की, जो कि आने वाले चक्रवात की स्थिति में लोगों को सचेत करने और तैयार रहने में सक्षम बनाती है। समय-समय पर भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना भी भारतीयों को उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की वजह से तबाही से बचाने के लिए तैयार की गई है। इसके अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) राहत कार्यों के लिए जिम्मेदार है।

Share this

Related Posts

Previous
Next Post »

1 comments:

Write comments