Top place for trekking in
Maharashtra. महाराष्ट्र में ट्रेकिंग के लिए 10 सबसे बढिया जगह.
सह्याद्री सीमा उन लोगों के लिए सबसे अच्छे मानसून गेटवे
प्रदान करता है जो महाराष्ट्र में ट्रेकिंग पर जाना चाहते हैं. महाराष्ट्र, अपने कई हिल
स्टेशनों के साथ,
ट्रेकिंग के लिए सही अवसर प्रदान करता है. कुछ ट्रेकिंग ट्रेल्स प्राकृतिक स्थलों के माध्यम से अपना
रास्ता बनाते हैं,
जबकि अन्य ऐतिहासिक खंडहरों से घिर जाते हैं. महाराष्ट्र में कही ऐसे ट्रेकिंग की जगह है जहा आप कैम्पिंग, वाइल्डलाइफ़ फ़ोटोग्राफ़ी, रिवर राफ्टिंग और कई
अन्य खेलों का आनंद ले सकते हैं. यह ब्लॉग आपको
महाराष्ट्र के 10 सर्वश्रेष्ठ ट्रेक लाता है.
1. लोहगड किला
लोकेशन: पुणे, महाराष्ट्र, भारत
कैसे पहुचे: ट्रैन के जरिए- पुणे जाने वाली ट्रैन पकड़े फिर लोनावला स्टेशन
पर उतरकर वह़ा से लोकल के जरिए मालवली स्टेशन पर से लोहगड के लिए ऑटो पकड़े.
रोड के जरिए – आप रोड से लोनावला जाकर वहा से लोहगड जा सकते
है. यहा आप गुगल मॅप के जरीए आसानी से पहुच सकते है.
जानकारी: लोहागड भारत में महाराष्ट्र राज्य के कई पहाड़ी किलों
में से एक है. लोहागड लोनावाला और पुणे के उत्तर-पश्चिम में 52 किमी दूर स्थित है, लोहागड समुद्र तल से 1,033 मीटर (3,389 फीट) की ऊंचाई पर है. किला एक
छोटी सी सीमा द्वारा पड़ोसी विशापुर किले से जुड़ा हुआ है. शिवाजी महाराज ने सन 1648
में लोहागड किले पर कब्जा कर लिया, लेकिन उन्हें सन 1665में पुरंदर की संधि की वजह से
मुगलों के सामने किले का समर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ा. शिवाजी महाराज ने सन
1670 में किले को फिर से अपना बनाया और इसका इस्तेमाल अपने खजाने को रखने के लिए
किया.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: लोहागढ़ किले पर जाने के लिए सबसे
अच्छा समय मानसून के मौसम के दौरान है, जब बारिश आसपास के वातावरण को ताजा और चमकीला बना
देती है. लोहगड सुबह 9 से शाम 6 बजे तक ही खुला रहता है. किले पर रात में रूकना
मना है.
2. कलसुबाई शिखर
लोकेशन: बारी, तालुक, अकोले, महाराष्ट्र.
कैसे पहुचे: ट्रैन के जरिए- कसारा रेल्वे स्टेशन पहुचे वहा से
लोकल टॅक्सी या फिर ऑटो पकडकर आप कलसुबाई शिखर तक पहुच सकते है.
रोड के जरिए– मुंबई से कसारा - कसारा से ईगतपुरी – ईगतपुरी
से घोटी – घोटी से बारी गॉंव (कलसुबाई शिखर)
जानकारी: कालसुबाई पश्चिमी घाट में एक पर्वत है, जो भारत के महाराष्ट्र राज्य में स्थित है. इसका शिखर १६४६ मीटर (५४०० फीट) की
ऊँचाई पर स्थित महाराष्ट्र का सबसे ऊँचा शिखर है. कलसुबाई पर्वत श्रृंखला
हरिश्चंद्रगढ़ और वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है. यह साल भर में उत्साही
ट्रेकर्स, कलसुबाई के भक्तों और वन्यजीव देखने के उत्साही लोगों द्वारा समान रूप से दौरा
करते है. कलसुबाई पर्वत श्रृंखला का निर्माण उन्हीं ऐतिहासिक घटनाओं द्वारा किया
गया था, जिन्होंने पश्चिमी घाट को जन्म दिया था. कलसुबाई शिखर बड़ी संख्या में
ट्रेकर्स और भक्तों को आकर्षित करता है. शिखर तक पहुँचने के लिए अच्छी तरह से
ट्रेकिंग मार्ग हैं. सबसे लोकप्रिय मार्ग पूर्वी गाँव बारी से है.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: जून से अगस्त में बारीश के मौसम
में ट्रेकिंग के लिए, सितबंर से अक्तूबर में ट्रेकिंग के लिए और नवबंर से मई में
रात की कैम्पिंग के लिए.
3. माथेरान
लोकेशन: मुबंई के पास
कैसे पहुचे: ट्रैन के जरिए- नेरल माथेरान के पास का रेल्वे स्टेशन
है आप पुणे स्टेशन या फिर सीएसटी से नेरल के लिए ट्रेन पकड़ सकते है, और नेरल से
आप माथेरान के लिए टॉय ट्रेन सेवाओं का विकल्प चुन सकते हैं.
रोड के जरिए– माथेरान मुंबई से 110 किमी दूर स्थित है. आप ट्रेन से
माथेरान पहुंच सकता है या नेरल से किराए पर टैक्सी ले सकता है. माथेरान पहुंचने के
बाद,
आप या तो पैदल यात्रा कर सकते हैं, साइकिल किराए पर ले सकते हैं या हिल स्टेशन पर घोड़े की सवारी कर सकते हैं
क्योंकि शहर की सीमा के भीतर वाहनों की अनुमति नहीं है.
जानकारी: माथेरान, मुंबई से मात्र 110 किलोमीटर दूर रायगढ़ जिले में मौजूद है प्राकृतिक खूबसूरती से भरा छोटा सा हिल
स्टेशन है. माथेरान में लगभग 38 लुक आउट पॉइंट है. जिसमें पैनोरमा प्वाइंट सहित, जो आसपास के क्षेत्र और नेरल शहर का 360 डिग्री का दृश्य
प्रदान करता है. लुईसा प्वाइंट में प्रबल किले के दृश्य हैं. अन्य दृष्टिकोणों में वन ट्री हिल पॉइंट, हार्ट पॉइंट,
मंकी पॉइंट, पोरचिइन पॉइंट और
रामबाग पॉइंट शामिल हैं. कर्जत तहसील के अंदर आने वाला यह भारत का
सबसे छोटा हिल स्टेशन है. बड़े शहरोंसे इसकी निकटता के कारण
मातेरान शहरी नागरिकों के लिए एक सप्ताहांत बिताने के लिए लोकप्रिय स्थल है. यहां की खासियत है कि यहां किसी भी प्रकार के वाहन का प्रवेश वर्जित है.
यही वजह है कि यहां का वातावरण मन को शांति प्रदान करता है.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: यहा लोग लगभग पुरे साल घुमने के
लिए आते जाते रहते है. लेकीन फिर भी ज्यादातर लोग यहा बारीश और थंड के मौसम में
आते है.
4. रायगड किला
लोकेशन: महाड, रायगड जिला
कैसे पहुचे: रायगढ़ किला महाड में स्थित है. यहा पे सबसे नजदीक
वाला बस स्टॅन्ड मुरुड है जो 33 किलोमीटर दुर है. रोड के जरिए– मुंबई से रायगढ़ किले तक पहुँचने के लिए NH17 को लें. लोनेरा फाटा से होते हुए पनवेल-महाड पहुंचे और फिर आप दासगांव से
होते हुए सीधे रायगड पहुंच सकते है.
ट्रैन के जरिए- रायगढ़ से सबसे पास का रेलवे स्टेशन वीर
दासगाँव रेलवे स्टेशन है,
जो रायगढ़ से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. रेलवे स्टेशन से आप रायगढ़ के लिए टैक्सी भी ले सकते हैं.
जानकारी: रायगड़ महाड में स्थित एक पहाड़ी किला है. रायगढ़
किले को छत्रपति शिवाजी महाराज ने जब्त कर लिया था और 1674 में इसे अपनी राजधानी
बनाया था, जब उन्हें एक मराठा राज्य के राजा के रूप में ताज पहनाया गया था, जो बाद में मराठा राज्य मराठा साम्राज्य में विकसित हुआ, और अंततः पश्चिमी और मध्य भारत को अपने अंदर शामिल किया. यह किला समुद्र तल से
820 मीटर (2,700 फीट) ऊंचा है और सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में स्थित है. किले तक जाने के
लिए लगभग 1737 सीढ़ियाँ हैं. रायगड़ में रोपवे की सुविधा 10 मिनट में किले के
शीर्ष तक पहुंचने के लिए मौजूद है. रायगड़ का किला छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा बनाया
गया था और मुख्य वास्तुकार हीरोजी इंदुलकर थे.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: रायगढ़ किले की यात्रा के लिए ठीक समय
नवंबर से मार्च के दौरान है क्योंकि यहां सर्दियां कड़ी नहीं होती हैं. मौसम सुहावना बना रहता है, और आप सर्दियों के दौरान सबसे अधिक ट्रेकिंग या रोपवे का आनंद लेंगे. रायगढ़
में गर्मी के मौसम आना अच्छा आयडीया नही है, क्योंकि पारा 50 डिग्री सेल्सियस तक
पहुँच जाता है.
5. ब्रम्हगिरी
लोकेशन: त्र्यबंकेश्वर, नाशिक.
कैसे पहुचे: आपको ब्रम्हगिरी जाने के नाशिक से सीधे त्र्यबंकेश्वर
कि बस लेनी पड़ती है.
जानकारी: ब्रम्हगिरी महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में एक पर्वत
श्रृंखला है. जो नाशिक जिले में स्थित है. इस जगह के पास ही त्रयंबकेश्वर शिव मंदिर
स्थित है. पवित्र गोदावरी नदी का उद्गम ब्रम्हगिरी से ही होता है. यह नदी 1,465 किलोमीटर (910 मील) तक बहती है. ब्रह्मगिरि के इलाके प्रकृति की सैर और
ट्रैकिंग जैसी साहसिक यात्राओं के लिए चुनौतीपूर्ण स्थान हैं. कई ट्रेकिंग ट्रेल्स
जंगली पेड़ों के बीच बसे हैं. पर्वतमाला प्राकृतिक आकर्षण और प्राकृतिक स्थलों से
समृद्ध हैं. ब्रह्मगिरि (1298 मीटर) त्र्यंबकेश्वर के पश्चिम में है और यह किला
ठाणे जिले के जव्हार मोखडा क्षेत्र का एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है.
त्र्यंबकेश्वर अपने आप में एक पवित्र स्थल है क्योंकि यह भगवान शिव के 12
ज्योतिर्लिंगों में से एक है.
त्र्यंबकेश्वर के पास में ही हरीहर
किला है और दुगरवाडी का झरना भी है.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: जुन से लेकर जनवरी तक का समय यहा
ट्रेकिंग के लिए सही समय है. बारीश और सावन के मौसम में अधिकतर लोग यहा आते है और यहा
के मौसम का आनंद लेते है.
6. प्रतापगड़ किला
लोकेशन: सातारा, महाराष्ट्र.
कैसे पहुचे: ट्रेन के जरिए– सातारा रेल्वे स्टेशन प्रतापगड़ के पास का रेल्वे स्टेशन है
वहा से आप प्रतापगड़ के लिए टैक्सी कर सकते है.
रोड़ के जरिए- महाबलेश्वर से लगभग 25 किमी दूर, यह किले तक कैब और बसों द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है. यह लगभग एक घंटे
की यात्रा है और मुख्य किले की सीढ़ियों तक आधे घंटे की अतिरिक्त बढ़ोतरी है.
जानकारी: प्रतापगड़ किला सातारा में स्थित एक बड़ा किला है. लड़ाई
के स्थल के रूप में महत्वपूर्ण, किला अब एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. प्रतापगढ़ किला
पोलादपुर से 15 किलोमीटर और महाबलेश्वर से 23 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है, जो क्षेत्र का एक लोकप्रिय हिल स्टेशन है. यह किला समुद्र तल से 1,080 मीटर (3,540 फीट) ऊंचा है. राजा छत्रपति शिवाजी महाराज ने
नीरा और कोयना नदियों के तट की रक्षा के लिए और पार पास की रक्षा के लिए इस किले
के निर्माण का कार्य करने के लिए अपने प्रधानमंत्री मोरोपंत त्र्यंबक पिंगले को
नियुक्त किया. इस किले का काम 1656 में पूरा हुआ. छत्रपति शिवाजी महाराज और अफज़ल खान के बीच
प्रतापगढ़ की लड़ाई 10 नवंबर 1659 को इस किले की प्राचीर से नीचे लड़ी गई थी. प्रतापगढ़ आमतौर पर महाबलेश्वर के
हिल स्टेशन से एक दिन की यात्रा के रूप में जाना जाता है, जो 25 किलोमीटर दूर स्थित एक
लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. एसटी बस सेवा ने दशकों से प्रतापगढ़ सहित महाबलेश्वर के
आस-पास के स्थानों के लिए दैनिक भ्रमण सेवाएं चलाई हैं. कई स्कूल किले में शैक्षिक
यात्राओं की व्यवस्था भी करते हैं. यह किला के क्षेत्र में कई ट्रेकिंग मार्ग भी
है.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: थंड के मौसम यहा ज्यादातर लोग यहा
ट्रेकिंग के लिए आते है. क्योंकि यह जगह महाबलेश्वर के पास है.
7. कर्नाला पक्षी अभयारण्य
लोकेशन: पनवेल तालुका, रायगड़ जिला.
कैसे पहुचे: रोड के जरिए- अभयारण्य
मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे से थोड़ा दूर है और मुंबई-गोवा हाईवे या NH17 पर से आसानी से पहुँचा जा सकता है. मुंबई से 65 किमी और पुणे से 112 किमी
की दूरी पर अभयारण्य सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.
ट्रेन के जरिए- पनवेल रेल्वे स्टेशन अभयारण्य के सबसे पास का है. पनवेल रेल्वे स्टेशन से आप अभयारण्य के
लिए टॅक्सी कर सकते है.
जानकारी: अभयारण्य ऐतिहासिक कर्नाला किले के बिचोबीच केंद्रित है. यह पनवेल से 12 किमी
दूर स्थित है. पक्षी अभयारण्य मुंबई क्षेत्र में पक्षी-दर्शकों और ट्रेकर्स के लिए
एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है. अभयारण्य 222 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों का घर
है, जिनमें 161 निवासी प्रजातियां हैं, 46 सर्दीयोंकी प्रवासी प्रजातियां हैं, तीन ब्रीडिंग प्रवासी प्रजातियां हैं. सात प्रजातियां
प्रवासियों की हैं और पांच प्रजातियां आवारा हैं. पक्षी मध्य एशिया, यूरोप, उज्बेकिस्तान, साइबेरिया से आते हैं. यहा पे एक आदमी के लिए 35 रू.
एन्ट्री फी है और 2 व्हिलर पार्किंग के लिए 25 रू. फी है. अभयारण्य में पहाड़ी की
चोटी पर स्थित कर्णला किला है, यह लगभग 1 घंटे की मध्यम कठिन ट्रेक है कर्नाला
किले के लिए.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: अभयारण्य की यात्रा के लिए अक्टूबर
से अप्रैल का समय सबसे अच्छा है. सर्दियों के मौसम के दौरान, प्रवासी पक्षी अभयारण्य का सबसे बड़ा आकर्षण हैं. दूसरी ओर, मानसून की शुरुआत में बड़ी संख्या में पक्षी, जैसे कि स्वर्ग फ्लाईकैचर, शमा और मालाबार सीटी बजाते हैं, जो जंगल के माध्यम से बजने वाली आत्मीय धुनों पर
थिरकते हैं.
8. राजगड किला
लोकेशन: पुणे
कैसे पहुचे: ट्रेन के जरिए- अगर आप ट्रेन से आने कि सोच रहे हो तो फिर आपको पुणे तक ट्रेन
से आना होगा और फिर पुणे रेल्वे स्टेशन से आप पाली के लिए टॅक्सी पकड सकते है.
पाली पुणे से 68 कीमी की दुरी पर है.
जानकारी: राजगड़ (रूलिंग फोर्ट) एक पहाड़ी किला है जो पुणे
जिले में स्थित है पहले यह मुरुमदेव के नाम से जाना जाता था, किला लगभग 26 वर्षों तक छत्रपति शिवाजी महाराज के शासन में मराठा साम्राज्य की राजधानी था, जिसके बाद राजधानी को रायगड़ किले में स्थानांतरित कर दिया गया था. तोरण नामक एक निकटवर्ती किले से
खोजे गए खजाने का इस्तेमाल पूरी तरह से राजगड़ किले को बनाने और मजबूत करने के लिए
किया गया था. राजगड़ किला पुणे के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 60 किमी और सह्याद्रि
रेंज में नासरपुर से लगभग 15 किमी दुरी पर पश्चिम में स्थित है. यह किला समुद्र तल
से 1,376 मीटर (4,514 फीट) दूरी पर है.
किला पर्यटन के द्रष्टी से एक महत्त्वपूर्ण स्थल
है और विशेष रूप से मानसून के दौरान इसकी सबसे अधिक मांग है. पर्यटक किले पर रात
भर रुकना पसंद करते हैं, क्योंकि यह किला बहुत बड़ा है और एक ही दिन में इसका
पता नहीं लगाया जा सकता है. किले के पद्मावती मंदिर में लगभग 50 लोग बैठ सकते हैं.
पानी की टंकियाँ पूरे साल भर ताज़े पानी देती हैं. राजगढ़ की तलहटी के ग्रामीण इन
पर्यटकों को स्थानीय प्राचीन वस्तुएँ और वस्तुएँ बेचते हैं.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: सभी पर्यटक विशेष रूप से
यहा बारीश और थंड के मौसम में आना पसंद करते है. क्योंकी किले पर इस मौसम में
हरीयाली रहती है और आप पुरे किले का आनंद उठा सकते हैं.
9. तपोला
लोकेशन: महाबलेश्वर, सातारा.
कैसे पहुचे: अगर आप तपोला जाना चाहते हैं महाबलेश्वर पहुंच कर आप तपोला जा सकते है. महाबलेश्वर ट्रेन और रोड से अच्छि
तरह से जुडा हुआं है आप ट्रेन और गाडी दोनो का इस्तेमाल करके महाबलेश्वर पहुंच कर
तपोला सकते है.
जानकारी: महाबलेश्वर की घाटियों में स्थित, तपोला एक गाँव है जहाँ प्रकृति बहुत उदार रही है. 'मिनी कश्मीर' के रूप में प्रसिद्ध, तपोला में कुछ मनोरम प्राकृतिक सुंदरता है, जो इसे प्रकृति के अनुभव के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल बनाती है. खूबसूरत
स्ट्रॉबेरी के खेत यहां के कुछ आर्कषनो में से एक हैं. यहा से आप सह्याद्री की
पहाड़ीयों से कई आर्कषक स्थल देख सकते है. तपोला प्रकृति प्रेमियों, फोटोग्राफरों और साहसिक प्रेमियों के लिए लोकप्रिय है जो यहा ट्रैकिंग का भी आनंद
ले सकते हैं और प्राकृतिक दृश्य का आनंद ले सकते हैं. इस जगह की सुंदरता का आनंद
लेने के अलावा, आप इस क्षेत्र में कई साहसिक खेलों का आनंद भी ले सकते हैं. जंगल ट्रेक, विशेष रूप से वासोटा किले के लिए ट्रेक रोमांचकारी है और पर्यटकों के बीच तेजी
से लोकप्रियता हासिल कर रहा है.
जाने के लिए
सबसे अच्छा समय: आप पुरे साल भर में कभी भी तपोला
जा सकते है. यहा लोग पुरे साल में कभी भी छुट्टीयां मनाने आते है, और इसका आनंद
उठाते है.
10. विसापुर किला
लोकेशन: मलावली, विसापुर
कैसे पहुचे: ट्रेन के जरीए- आप पुणे से मलावली के लिए ट्रेन पकड़
सकते है, मलावली रेल्वे स्टेशन किले से 10 किमी की दुरी पर है.
जानकारी: इस किले को मराठा साम्राज्य के पहले पेशवा बालाजी
विश्वनाथ द्वारा 1713-1720 के दौरान बनाया
गया था, विसापुर किला लोहागड़ की तुलना में बहुत बाद में बनाया गया था लेकिन दोनों
किलों के इतिहास निकट से जुड़े हुए हैं. विसापुर किला अपने जुड़वां किले- लोहागड़
की तुलना में अधिक बड़ा और ऊंचा है. किले के भीतर गुफाएँ, पानी के कुंड, एक सजाया हुआ मेहराब और पुराने घर हैं. बाहरी या बरामदे की दीवारों से घिरी इन
दो छतविहीन इमारतों के बारे में कहा जाता है कि ये कभी सरकारी कार्यालय थीं. यहा
एक कुआँ है जिसे स्थानीय किंवदंती कहते हैं कि इसे पांडवों ने बनवाया था.
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